सर्वमान्य मैथिल गण ,
जनक, यग्वालय , गौतम , मण्डन , भारती , आयाची , विद्यापति , लोरिक, सलहेश, दीना बद्री के माइट सब दिन स अपन शिक्षा और संस्कृति लेल प्रसिद्ध रहल अछि !
कमला , कोशी , गंडक , कमला बालान , भुतही , अधवारा , बागमती , तिलजुगा , खिरोय , लखनदेई एतेक रास नदी मिल क धरती के सिचैत छैथ , ओ मिथिला धरती हर क्षेत्र में उर्वरा रहल अछि ,
मुदा मैथिलि के आँगन आई सुन किया अछि , मिथिला के खेत आ दलान सुन किया ?
मैथिलि अपन गति में छैथ मुदा मैथिल ओहि प्रवाह स कात भेल जा रहल छैथ, कारण कि कहु देहाती में एक कहावत अछि ,
" जखने पूत गेल परदेश , देव पितृ सब स गेल "
माई मैथिलि के मोह के छोड़ी मैथिलि पुत्र सब आई सब परदेशी होबा पर मजबूर छैथ, एही में कोनो दु-मत नै जे भी जहाँ छैथ एक - एक गोटे अपन अपन टैलेंट के बल पर छैथ !
एही टैलेंट सब के सहेज के लेल एक संस्था अपन डेग बढ़ा रहल अछि, सब मैथिल सब स निवेदन जे माई मैथिलि के सेवा के लेल तैयार होयत इ वट वृक्ष के हिस्सा बनी !!
सोशल मिडिया के दुनिया में अवस्थित असंख्य मैथिल में स किछु मैथिल पुत्र / पुत्री सब मिल क एक संस्था के नीव रखनऊ हे जकड़ नाम अछि "मैथिल सेवा संस्थान " !
संस्था के निर्माण कोनो भी राजनीती स दूर और सामाजिक काज में आगा रहबाक लेल भेल अछि , और एही तरहक सोच रखनिहार मैथिल के जुड़बक लेल आवाह्न करैत अछि , मैथिलि के प्रवाह स दूर होयत मैथिल जन के लेल मैथिल सेवा संस्थान एक निक और कारगर प्लेटफॉर्म सिद्ध होयत !
संस्था अपना विस्तार मिशन के तहत क रहल अछि जाहि मिशन के नाम अछि "मिशन विस्तार" , एही मिशन के तहत संस्था जहाँ देश के हर राज्य तक पहुंचे के कोशिश क रहल अछि, ओतै मिथिला के हर गाम में पहुंचे , ओहि में संस्था के स्वंय सेवी सब लागल छैथ और सफलता सेहो भेट रहल छैन !
बस अंत में एतबे कहब :
मिथिला माई के पुत्र छी हम, नूतन समाज के सूत्र छी हम,
लक्ष्य विकास के लाइब रहल छी, संगी-सहयोगी ताइक रहल छी !!
धन्यवाद
दुर्गानाथ झा
मैथिल सेवा संस्थान
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